जगदीश प्रसाद बैरवा का महिला उत्पीडन पर लिखा गया उपन्यास " गौरी दिल्ली नहीं जायेगी " प्रकाशित
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चितौडगढ के जिला परिवहन अधिकारी के पद पर कार्रत हैं जगदीश प्रसाद बैरवा ।इनका महिला उत्पीडन पर लिखा गया उपन्यास गौरी दिल्ली नहीं जायेगी प्रकाशित हुआ है ।इसके बाद मित्र पंचकम् व मारु की लडाई ।लेखक बैरवा के इन तीनों उपन्यास के पात्र आपस में एक दूसरे के या तो मित्र हैं या फिर शत्रु ।गौरी दिल्ली नहीं जायेगी पढने के उपरान्त स्वत ही पाठको का मन मित्र पंचकम् पढने को करेगा और आप जैसे ही मित्र पंचकम् को पढोगे तो खूद ही इनका उपन्यास मारु की लडाई पढने लग जावोगे ।माला के मोतियों की तरह पिरोया है लेखक ने अपने शब्दो को ।उपन्यास के अलावा इनकी कथा कहानियां व कविताएँ भी राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं ।लेकिन लेखक उपन्यास ही ज्यादा लिख रहे हैं ।इनका अगला उपन्यास कोरोना के लाक डाउन पर आ रहा है ।एक सफल लेखक के साथ साथ मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं दौसा जिले के चावण्ड गांव के साधारण परिवार में जन्मे जगदीश प्रसाद बैरवा ।प्रकृति इन पर मेहरबान रहे और ये साहित्य के सर्वोच्च पायदान पर पहुंचे ।जोहार ।।अहीर ।।
चितौडगढ के जिला परिवहन अधिकारी के पद पर कार्रत हैं जगदीश प्रसाद बैरवा ।इनका महिला उत्पीडन पर लिखा गया उपन्यास गौरी दिल्ली नहीं जायेगी प्रकाशित हुआ है ।इसके बाद मित्र पंचकम् व मारु की लडाई ।लेखक बैरवा के इन तीनों उपन्यास के पात्र आपस में एक दूसरे के या तो मित्र हैं या फिर शत्रु ।गौरी दिल्ली नहीं जायेगी पढने के उपरान्त स्वत ही पाठको का मन मित्र पंचकम् पढने को करेगा और आप जैसे ही मित्र पंचकम् को पढोगे तो खूद ही इनका उपन्यास मारु की लडाई पढने लग जावोगे ।माला के मोतियों की तरह पिरोया है लेखक ने अपने शब्दो को ।उपन्यास के अलावा इनकी कथा कहानियां व कविताएँ भी राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं ।लेकिन लेखक उपन्यास ही ज्यादा लिख रहे हैं ।इनका अगला उपन्यास कोरोना के लाक डाउन पर आ रहा है ।एक सफल लेखक के साथ साथ मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं दौसा जिले के चावण्ड गांव के साधारण परिवार में जन्मे जगदीश प्रसाद बैरवा ।प्रकृति इन पर मेहरबान रहे और ये साहित्य के सर्वोच्च पायदान पर पहुंचे ।जोहार ।।अहीर ।।
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